देवन जबहीं जाय पुकारा। तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥
दानिन महं तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत सदाहीं॥
द्वादश ज्योतिर्लिंग मंत्र
दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी ने प्राचीन हनुमान मंदिर में पूजा किया
अथ श्री बृहस्पतिवार व्रत कथा
कंबु – कुंदेंदु – कर्पूर – गौरं शिवं, सुंदरं, सच्चिदानंदकंदं ।
ॠनियां जो कोई हो अधिकारी। पाठ करे सो पावन हारी॥
शिव पूजा में सफेद चंदन, चावल, कलावा, धूप-दीप, पुष्प, फूल माला और शुद्ध मिश्री को प्रसाद के लिए रखें।
पुत्र होन कर इच्छा जोई। निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई॥
मातु पिता भ्राता सब कोई। संकट में पूछत नहिं कोई॥
अर्थ: माता मैनावंती की दुलारी अर्थात माता पार्वती जी आपके बांये अंग में हैं, उनकी छवि भी अलग से मन को हर्षित करती है, तात्पर्य है कि आपकी पत्नी के रुप में माता पार्वती भी पूजनीय हैं। आपके हाथों में त्रिशूल आपकी छवि को और भी आकर्षक बनाता है। आपने हमेशा शत्रुओं का नाश किया है।
नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे॥
जय जय जय अनन्त अविनाशी। Shiv chaisa करत कृपा सब के घटवासी॥
नमो नमो जय नमः शिवाय। सुर ब्रह्मादिक पार न पाय॥
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